डॉ. प्रेम लाल पाल का जन्म 22 दिसम्बर 1970 को हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िला के धामी उप-तहसील में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने रा.व.मा.पाठशाला धामी से पूरी की और स्नातक की डिग्री रा.महा.चौड़ामैदान, शिमला से प्राप्त किया। संगीत में एम.ए., एम.फिल. और पी.एच.डी. के साथ-साथ हिंदी विषय में प्रभाकर की उपाधि भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से हासिल किया। संगीत भूषण (तबला) की शिक्षा प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से प्राप्त की और संगीत प्रभाकर (गायन) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। इसके अलावा, उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित नेट और जे.आर.एफ. परीक्षाएं भी उत्तीर्ण कीं।

   डॉ. पाल आकाशवाणी शिमला के स्थानीय ऑडिशन बोर्ड के नामित सदस्य हैं। उनके द्वारा रचित लगभग 30 गीतों की पुस्तक प्रकाशित होने की तैयारी में है, जिसमें देश भक्ति, प्रेरणा गीत, महाविद्यालयीय कुल गीत, सरस्वती वंदना और टाइटल सॉन्ग शामिल हैं।

   उनकी पहली पुस्तक 'सोलन क्षेत्र की धार्मिक मान्यताओं में संगीत' शीर्षक से प्रकाशित हुई है। डॉ. पाल ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में कई शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं, जिनमें लोक साहित्य एवं लोक संगीत, ग्रामीण जन-जीवन में संगीत की भूमिका, संत कबीर जी के काव्य का सांगीतिक दृष्टिकोण, शास्त्रीय संगीत में लोक संगीत की भूमिका और पर्यावरण संरक्षण में संगीत की भूमिका जैसे विषय शामिल हैं।

   वर्तमान में, डॉ. प्रेम लाल पाल जवाहर लाल नेहरु राजकीय ललित कला महाविद्यालय, लौहारब (बनुटी), शिमला में सहायक आचार्य (संगीत गायन) के पद पर कार्यरत हैं।